अगर हमारी शब्दों के कोष में ‘तुम’ ना होता
तो, कोई छोटा ना होता
अगर हम सिर्फ ‘आप’ कहते
तो शायद आदर की समझ होती
काश, हमारे शब्दों के कोष में सिर्फ ‘आप’ होता
हमारे बच्चे ‘आप’ होते
हजारों पत्नियाँ ‘आप’ होती
लाखों युवा ‘आप’ होते
हमारी नींव कमज़ोर ना होती
शायद छोटेपन का एहसास न होता
शायद सिर्फ सम्मान होता
काश, हमारे शब्दों के कोष में सिर्फ आप होता
एक भिकारी भी ‘आप’ होता
वो नौकर भी ‘आप’ होता
हमारी बाई भी ‘आप’ होती
हमारी बच्चियाँ भी ‘आप’ होती
कोई छोटा ना होता
कोई बड़ा ना होता
काश हमारे शब्दों के कोष में ‘तुम’ ना होता
हमारे आँखों में एक ही भाव होता
हम इंसान होते, शायद इंसानियत होती
कोई छोटा ना होता, कोई बड़ा ना होता
काश हमारे शब्दों के कोष में सिर्फ ‘आप’ होता
05.01.13
Mumbai
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